Sunday, February 24, 2008

एक चेहरे पर कई चेहरे

जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते है लोग

एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग

य़ाद रह्ता है किसे गुज़रे ज़माने का चलन

याद रहता है किसे।

सर्द पड जाती है चाहत और जाती है लगन

अब मुहब्बत भी है क्या इक तिजारत के सिवा

हम भी नादां थे जो ओढा बीती यादों का कफ़न

वर्ना जीने के लिए सब कुछ भुला लेते है लोग

एक चेहरे पर...................................................

जाने वो क्या लोग थे जिन को वफ़ा का पाठ

जाने वो क्या लोग थे

दूसरे के दिल पे क्या गुज़रेगी ये अहसास था

अब हैं पत्थर के सनम जिनको एहसास ना गम

वो ज़माना अब कहां जो अहले दिल को राज था

अब तो मतलब के लिए नामे वफ़ा लेते हैं लोग

एक चेहरे पर......................

1 comment:

  1. हिन्दी ब्लॉगजगत में आप का स्वागत है।
    कृपया अपने टिप्पणी फार्म पर से वर्ड वेरिफिकेशन हटाएँ इस से टिप्पणी करने वाले को बहुत समस्या होती है और समय भी अधिक लगता है। इस के लिए आप अपने डैशबोर्ड में जा कर कमेंटस् में जाएँ और वहाँ वर्ड वेरिफिकेशन पर जा कर उसे नो कर दें।
    धन्यवाद्
    वर्ड वेरिफिकेशन हटा देने पर मुलाकात होगी।

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