बेदर्दी बालमा तुझको मेरा मन याद करता है,
बरसता है जो आंखों से वो सावन याद करता है..
कभी हम साथ गुज़रे जिन सजीली राह गुज़ारॊं से
फ़िज़ा के भेस में गिरते हैं अब पत्ते चनारों से
ये राहें याद करती हैं ये गुलशन याद करता है
बेदर्दी बालमा.....................................
कोई झोंका हवा का जब मेरा आंचल उडाता है
गुमां होता है जैसे तू मेरा दामन हिलाता है
कभी चूमा था जो तूने वो दामन याद करता है.
बेदर्दी बालमा......................................................
वो ही है झील के मंज़र वोही किरनों की बरसातें
जहां हम तुम किया करते थे पहरों प्यार की बातें
तुझे इस झील का खामोश दर्पन याद करता है
बेदर्दी बालमा तुझ को......................................
Saturday, February 23, 2008
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